ऋषिकेश गंगा आरती कहाँ होती है और इसका इतिहास

गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदियों में गिना जाता है, और जब बात होती है गंगा आरती की, तो मन श्रद्धा से भर जाता है। उत्तराखंड का ऋषिकेश इस दिव्य आरती के लिए विश्व-भर में प्रसिद्ध है। हर शाम गंगा आरती का दृश्य यहाँ ऐसा होता है कि न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु इसे देखने उमड़ पड़ते हैं।

Nov 23, 2025 - 12:17
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ऋषिकेश गंगा आरती कहाँ होती है और इसका इतिहास

गंगा आरती ऋषिकेश में कहाँ होती है?

ऋषिकेश में मुख्य रूप से तीन स्थानों पर गंगा आरती होती है:

1. परमार्थ निकेतन आश्रम (सबसे प्रसिद्ध आरती)

  • यह आरती सबसे भव्य, संगठित और पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

  • हर रोज़ शाम लगभग 6:00 से 7:00 बजे के बीच होती है (समय मौसम के अनुसार बदल सकता है)।

  • यहाँ हज़ारों श्रद्धालु एक साथ मंत्रोच्चार, दीप जलाना और भजन-कीर्तन का आनंद लेते हैं।

2. त्रिवेणी घाट

  • यह ऋषिकेश का सबसे पुराना और पवित्र घाट माना जाता है।

  • यहाँ की आरती भावपूर्ण और सरल शैली में होती है।

  • इसका महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि माना जाता है कि यहाँ तीन नदियाँ—गंगा, यमुना और सरस्वती—का संगम था।

3. गीता भवन घाट

  • यहाँ की आरती कम भीड़भाड़ वाली और शांत होती है।

  • साधकों और ध्यान करने वालों के लिए यह एक अद्भुत अनुभव का स्थान है।


ऋषिकेश गंगा आरती का इतिहास

गंगा आरती का इतिहास वेदों और प्राचीन ग्रंथों से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म में अग्नि, जल और मंत्रों का विशेष महत्व है। गंगा नदी को मां गंगा के रूप में पूजा जाता है, जो धरती पर भागीरथ की तपस्या से अवतरित हुईं। माना जाता है कि गंगा के दर्शनों से ही मन-बुद्धि शुद्ध होती है और पाप कटते हैं।

प्राचीन काल की परंपरा

  • ऋषि-मुनि गंगा तट पर हर संध्या सामूहिक मंत्रों और दीपों के माध्यम से नदी का सम्मान करते थे।

  • यह परंपरा धीरे-धीरे सामुदायिक आरती का रूप लेती गई।

परमार्थ निकेतन की आधुनिक आरती

  • परमार्थ निकेतन आश्रम की स्थापना 1942 में स्वामी शिवानंद जी ने की थी।

  • वर्तमान भव्य शैली की आरती का प्रारंभ 1980 के दशक में हुआ, जब स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने इसे एक आध्यात्मिक उत्सव का रूप दिया।

  • आज यह आरती विश्व-स्तरीय आकर्षण बन चुकी है।

त्रिवेणी घाट की पौराणिक मान्यता

  • त्रिवेणी घाट प्राचीन काल से ही धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र रहा है।

  • माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने यहाँ अपने चरणों को विश्राम दिया था।

  • इसलिए इस घाट पर आरती का महत्व और भी बढ़ जाता है।


गंगा आरती का महत्व

गंगा आरती सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है।

1. प्रकृति और देवत्व का संगम

दीपों की रोशनी, जलती धूप, मंत्रोच्चार, घंटियाँ और बहती गंगा – यह सब मिलकर एक दिव्य वातावरण बनाते हैं जो मन को शांत और स्थिर कर देता है।

2. आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा

आरती में शामिल होने से:

  • तनाव कम होता है

  • मन शांत होता है

  • सकारात्मकता बढ़ती है

  • ध्यान की गहराई बढ़ती है

3. सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत

गंगा आरती भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा का जीवंत उदाहरण है। यह हमारे धार्मिक मूल्यों, प्रकृति सम्मान और सामूहिक श्रद्धा की अनोखी मिसाल है।


गंगा आरती का अनुभव – क्या महसूस होता है?

यदि आप पहली बार गंगा आरती देखते हैं, तो यह अनुभव अविस्मरणीय होता है।
आरती शुरू होते ही पूरा वातावरण मंत्रों से गूंज उठता है। बड़े-बड़े दीपकों की रौशनी गंगा के पानी पर प्रतिबिंबित होती है, जो दृश्य इतना सुंदर बनाती है कि शब्दों में बयान करना कठिन है।

आरती के दौरान देखने योग्य दृश्य

  • संत-महात्माओं द्वारा बड़े दीपों की परिक्रमा

  • वातावरण में गूंजती गंगा स्तुति

  • श्रद्धालुओं द्वारा जल में छोटे दीये प्रवाहित करना

  • पहाड़ों के बीच गंगा की चमकती लहरें

  • विदेशी पर्यटकों का उत्साह और श्रद्धा

यह सब मिलकर आपके मन में एक अद्भुत शांति और दिव्यता की भावना जगाता है।


गंगा आरती देखने जाने के लिए जरूरी टिप्स

1. समय से पहले जाएं

परमार्थ निकेतन और त्रिवेणी घाट पर भीड़ बहुत होती है।
आरती शुरू होने से कम से कम 45–60 मिनट पहले पहुँचें।

2. बैठने की अच्छी जगह चुनें

जहाँ से गंगा और आरती का पूर्ण दृश्य मिले, वहाँ बैठना बेहतर रहता है।

3. मोबाइल-फोटोग्राफी में संतुलन रखें

फोटो-वीडियो लें, पर इतना भी नहीं कि आप वास्तविक अनुभव खो दें।

4. शांत और संयमित रहें

आरती के समय किसी भी प्रकार का शोर न करें। यह एक पवित्र अनुष्ठान है।

5. स्थानीय नियमों का पालन करें

आश्रम या घाटों के निर्देशों का पालन करें।

6. दीपदान अवश्य करें

गंगा में छोटा दीया प्रवाहित करना एक सुंदर और भावपूर्ण अनुभव होता है।

7. गंगा की स्वच्छता का ख्याल रखें

कभी भी प्लास्टिक या कचरा गंगा में न डालें।


ऋषिकेश घूमने वालों के लिए बोनस टिप्स

  • लक्ष्मण झूला और राम झूला अवश्य देखें

  • बीटल्स आश्रम की सैर करें

  • योग-सत्र या ध्यान क्लास में शामिल हों

  • स्थानीय फूड – कचौरी, आलू-पुरी और लस्सी जरूर ट्राई करें

  • गंगा तट पर सुबह-शाम बैठकर ध्यान करें


निष्कर्ष

ऋषिकेश की गंगा आरती एक ऐसा आध्यात्मिक अनुभव है जिसे हर व्यक्ति को जीवन में कम से कम एक बार अवश्य देखना चाहिए। यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि मन, आत्मा और प्रकृति—तीनों को एक साथ जोड़ने वाला दिव्य क्षण है। चाहे आप श्रद्धालु हों या यात्री, ऋषिकेश की यह अद्भुत शाम आपकी यादों में हमेशा बस जाएगी।